Manu Sharma
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“व्यक्तित्व को ऐसा बनाइए कि उसे देखकर विपत्ति भी चकित रह जाए। फिर क्रोध से क्रोध को नहीं जीता जा सकता और न अहंकार को अहंकार से।”
― संघर्ष
― संघर्ष
“खाना-पीना और परिवार के साथ रहना, यह तो पशु प्रवृत्ति है। मनुष्य तो हमेशा दूसरों के लिए जीता है।”
― राजसूय यज्ञ
― राजसूय यज्ञ
“एक मरण ही तो ऐसा है, जो निश्चित है, ध्रुव है। जीवन का कुछ भी निश्चित नहीं है। यदि निश्चित है तो उसकी अनिश्चितता—और यही अनिश्चितता जीवन का रस है।”
― द्वारका की स्थापना
― द्वारका की स्थापना
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